Your Story

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Poem:

 There is our friend Mr.Pankaj Joshi a Mechanical Graduate write very good poems some of them



गुडिया ...

बहुत शर्मिंदा हूँ आज मैं खुदपर

कैसे सब कुछ देख रहा हूँ
हर चोराहे पे इज्ज़त लूटती
और मैं आँखें सेक रहा हूँ ...

कितना लाचार बनाया है खुदको
कितना खुदको कमजोर किया है
हाथ फैलाये खड़े हुए है
इतना हमको किसने मजबूर किया है...

हर दिन एक गुडिया टूट रही है
कुछ वहशी लोगों के हाथों से
हर दिन इज्ज़त नीलाम हो रही
हर एक गली, हर चोपटों से...

ना जाने कब तक ये सत्ता आँख बंद कर पड़ी रहे
ना जाने कब तक ये नज़रें मासूमों पे गडी रहे
ना जाने कब तक ये गन्दा रूप समाज का सहना होगा
अब चुप नहीं रह सकते आगे बढ़कर कुछ कहना होगा...

ये जो ऊपर बैठे है कुर्सी के उन्हें बस सत्ता प्यारी है
उनको क्या मतलब है इससे लूटती तो अना हमारी है
लेकिन हम उनके आगे क्यूँ बार बार फ़रियाद करें
हम क्यूँ चुप रहकर इन गुंडों के होसले आबाद करें ...

अब सबको मिलकर ही इन दोनों से लड़ना होगा
हाथ मिलाओ आगे आओ हमको ही कुछ करना होगा
सबसे पहले बदलना होगा इस कमजोर व्यवस्था को
नपुंसक हाथों से फिर अब वापिस लेना होगा सत्ता को ...

आओ हम सब आगे आकर  ऐसा एक कानून बनाये
हर वहशी बलात्कारी को सरे राह फांसी लटकाएं
तब ही डर दिल में  बैठेगा इन वहशी दरिंदों के
हाथ लगाने से भी डरेगा वो इन मासूम परिंदों के...





जा रही है तू दूर मुझसे.

जैसे फिसलती है रेत हाथ से
खो रहा हूँ तुझको मैं..
जा रही है दूर तू मुझसे जैसे
पानी फिसल जाता है हथेली से किसी...
अकेला छोड़ कर मुझे इस तरह
जा रही है तू...
भूल कर सरे वादे तेरे जो किये थे तूने
मेरे हाथ मैं लेकर हाथ अपना
यूं देख कर मेरी आँखों में
तूने कहा था ,हम साथ रहेंगे सदा..
भूल कर सारी बातें,तू जा रही है ..
और मैं खो रहा हूँ तुझे किसी आखिरी सांस की तरह |
जा रही है तू मुझसे दूर जैसे
जाती है कोई नदी अपने पर्वत को छोड़कर
भिगो कर मेरा दामन अपनी यादों से
भर कर दिल में प्यार अपना
जा रही है तू दूर मुझसे |
जैसे निकल जाती है रूह किसी जिस्म से
जा रही है तू मुझे यूं बेजान कर के |







अजी आप रहने दो...

प्यार वफ़ा इश्क मोहब्बत, अजी रहने दो

शाम सुबह बस एक ही बात, अजी रहने दो...
एक दिन गली में हमसे बोले "चलो भाग चलते है"
गूंगे के मुह से इतनी बात ! अजी रहने दो....
रात दिन बस एक ही रट, लन्दन जाना है
उस साले की इतनी औकात! अजी रहने दो...
सुबह उठे तो गंगू तैली शाम ढले ही रजा भोज
दोपहर भर में ये करामात ! अजी रहने दो...
स्कूल और हस्पताल बनाया,रहने को घर भी दिये
बता रहे हो नेता के काम ! अजी रहने दो...
एक "सरदार" कुर्सी पे बैठा, कुछ तो बोल रहा है
अरे उस बेचारे पे ये इल्जाम ! अजी रहने दो...
यंहा सर कटा, यंहा बम फटा, और यंहा इज्ज़त नीलाम हो गयी
वो, अरे वो करेंगे युद्ध घमासान ! अजी रहने दो...
अरे इतना ऊँचा भी मत बोलो के कोई सुन ले
कंही रुक न जाये सरकार की बात, अजी रहने दो...
कोई कोयला खाए,कोई खाए स्पेक्ट्रम, खाने दो
कंही रुक न जाये उनका काम, अजी रहने दो...
करने दो उन्हें देश नीलाम अजी आप रहने दो...

***जोशी ...

मुझे अच्छा तो लगता है मगर अच्छा नही लगता ...

यूं तेरा देख कर मुझको खुद में सिमट जाना
मेरा बस नाम ही लेकर अपने दिल को बहलाना
यूं खामोश नज़रों से मुझे बस ताकते रहना
जो मैं पूरा तुम्हारा हो चूका हूँ तो फिर मुझे छोड़कर
बस मेरी यादों ,मेरे ख्वाबों में ही यूं चाहते रहना
मुझे अच्छा तो लगता है, मगर अच्छा नही लगता ...

एक मैं हूँ जो तेरे साथ साथ चाहता हूँ चलना
झूमाना चाहता हूँ तुझको बना के अपनी बांहों का पलना
मगर एक तू है के मेरी यादों में ही खुश है
मेरे अहसासों के साये में तू है चाहती चलना
मुझे यूं छोड़ कर पीछे सारे जंहा से चाहती लड़ना
मुझे अच्छा तो लगता है मगर अच्छा नही लगता ...

मैं तेरे साथ ना हो पाया, तो मेरा होना भी क्या होना
मेरे हर अश्क में तेरा अक्स ना उभरा तो क्या रोना
तेरे बिना मैंने कभी मेरी जिंदगी नही जानी
मगर यूं देख कर तुझको मेरे बिना ज़माने में
मुझे अच्छा तो लगता है मगर अच्छा नही लगता ..

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